Press Release

कई राजनीतिक पार्टियों और जन संगठनों ने 6 दिसंबर 2021 को बाबरी मस्ज़िद के विध्वंस की 29वीं बरसी के अवसर पर, संसद मार्ग पर एक संयुक्त विरोध सभा आयोजित की। यह सभा लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की हुक्मरानों की कोशिशों के खिलाफ, लोगों की एकता की हिफ़ाज़त में की गई थी।

“बाबरी मस्ज़िद के विध्वंस के गुनहगारों को सज़ा दिलाने का संघर्ष जारी है!”, “अमन और शांति कायम करने का यही रास्ता है!”, “एक पर हमला सब पर हमला!” – ये नारे सभा के मुख्य बैनर पर लिखे हुए थे। इन नारों में विरोध सभा की पूरी भावना झलक कर आ रही थी। “राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंक मुर्दाबाद!”, “लोगों की एकता की हिफ़ाज़त करें!”, “गुनहगारों को सज़ा दो!”, इस प्रकार के नारों के साथ बैनर सभा के चारों तरफ दीवारों पर लगे हुए थे।

सभा के संयुक्त आयोजक थे – लोक राज संगठन, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया, पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया, लोक पक्ष, जमाअत ए इस्लामी हिन्द, यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट, पुरोगामी महिला संगठन, सीपीआई (एम.एल.) न्यू प्रोलेतेरियन, स्टूडेंट इस्लामिक आरगेनाइजेशन आफ इंडिया, एनसीएचआरओ, आल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत, एपीसीआर (दिल्ली चैप्टर), सिटिजंस फाॅर डेमोक्रेसी, पीयूसीएल (दिल्ली), हिन्द नौजवान एकता सभा, मज़दूर एकता कमेटी, द सिख फोरम, देसिय मक्कल सक्ति कच्ची, आल इंडिया लायर्स काउंसिल।

सभा को संबोधित करने वाले वक्ताओं में थे – लोक राज संगठन के अध्यक्ष एस. राघवन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद शफी, वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया के अध्यक्ष एस.क्यू.आर. इलियास, पीयूसील से एनडी पंचैली, जमाअत ए इस्लामी हिन्द से इनाम उर रहमान, लोकपक्ष से केके सिंह, पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया से परवेज अहमद, यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट से एडवोकेट शाहिद अली, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी से प्रकाश राव, आल इंडिया लायर्स काउंसिल से शंशाक सिंह, दलित वायस से बी.एम. कांबले, पीपल्स फ्रंट से नरेश गुप्ता तथा अन्य।

वक्ताओं ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार और भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार, दोनों ही बाबरी मस्जिद के विध्वंस के अपराधी थे। कांग्रेस पार्टी, भाजपा और शिवसेना, सभी 1992-93 में मुंबई में सांप्रदायिक हत्याकांड आयोजित करने के दोषी थे। परंतु उनमें से किसी को भी इतने सालों बाद भी सज़ा नहीं दी गई है। हिन्दोस्तानी राज्य के सभी उपकरण – कार्यकारिणी, विधायिकी और न्यायपालिका – सब ने सांठगांठ में, हमारे लोगों के खिलाफ़ किए गए उस भयानक अपराध पर पर्दा डाल दिया है और गुनहगारों को निर्दोष घोषित कर दिया है।

वक्ताओं ने अनेक उदाहरणों से यह साफ-साफ साबित किया कि सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बांटना और सांप्रदायिक हत्याकांड आयोजित करना – यह हमारे हुक्मरानों का राज करने का जाना-माना तरीका है, जिसका मकसद है हमारी रोजी-रोटी और अधिकारों पर हमलों के खिलाफ़ संघर्ष में हमारी एकता को तोड़ना। इसका मकसद है कि उदारीकरण और निजीकरण कार्यक्रम के खिलाफ़ लोगों के एकजुट प्रतिरोध को तोड़ना। वक्ताओं ने यह मांग की कि सांप्रदायिक अपराधों के सभी गुनहगारों को सज़ा दी जानी चाहिए, चाहे राज्य प्रशासन में उनका कितना भी ऊंचा पद क्यों न हो। उन सभी को लोगों के जीने के अधिकार और ज़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त न करने के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए और उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।

कई वकाओं ने स्पष्ट किया कि सांप्रदायिकता के खिलाफ़ संघर्ष उदारीकरण और निजीकरण के इजारेदार पूंजीवादी कॉर्पोरेट घरानों के अजेंडा के खिलाफ़ संघर्ष का ही हिस्सा है। इस संघर्ष का निशाना हुक्मरानों की दोनों मुख्य पार्टियाँ –  कांग्रेस पार्टी और भाजपा – होना चाहिए। इस संघर्ष का निशाना हिन्दोस्तानी राज्य होना चाहिए, जो लोगों के बुनियादी अधिकारों का बेरहमी से हनन करके, बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी कारपोरेट घरानों के लालची हितों की हिफ़ाज़त करता है। हमारे संघर्ष का मकसद है एक सच्चे माइने में लोकतान्त्रिक राज्य की स्थापना करना, जिसमें हमारे, यानि लोगों के हाथों में अपने जीवन पर असर डालने वाले फैसलों को लेने की ताकत होगी, और हम उन सभी को, जो हमारे जमीर के अधिकार और इज्जत के साथ जीने के अधिकार का हनन करते हैं, कड़ी से कड़ी सज़ा दिला सकेंगे।

प्रदर्शनकारियों ने लोगों की एकता की हिफ़ाज़त में नारे लगाए और राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और आतंक को खत्म करने के संघर्ष को जारी रखने की कसम खायी। इसके साथ ही सभा का समापन हुआ।

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