राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के उप तहसील रामगढ़ में 26 जून को काले दिवस के रूप में मनाया गया। यह कार्यक्रम उसी कार्यालय के सामने धरना स्थल पर किया गया जहां बीते 5 दिन से बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति बिजली कंपनियों की लूट के विरुद्ध अपनी मांगों को लेकर आवाज़ उठा रही है।

सभा में वक्ताओं ने 26 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा के दिनों की तानाशाही और लोकतांत्रिक अधिकारों तथा मूल अधिकारों के हनन के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि आज उससे भी खतरनाक अघोषित आपातकाल है, जिसमें किसानो, मजदूरों, व्यापारियों,  कर्मचारीयों, बुद्धिजीवीयो और पत्रकारों को आतंकवादी, माओवादी या राष्ट्र विरोधी घोषित करके जेल में डाल दिया जाता है, सिर्फ इसलिए कि वे जनता के अधिकारों की आवाज़ उठा रहे हैं और राज्य के शोषण-दमन का विरोध कर रहे हैं। आज लाखों-लाखों किसान तीन काले किसान-विरोधी कानूनों को वापिस लेने व संशोधित बिजली बिल 2020 को समाप्त करने की मांग को लेकर 7 महीने से राजधानी दिल्ली के बॉर्डरो पर धरना पर बैठे हुए हैं। परंतु सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती ।

वक्ताओं ने बताया कि आज पूरे देश मे संयुक्त किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर, हर राज्य में राज्यपाल और राष्ट्रपति को इन मुद्दों पर मांग पत्र सौंपा गया है। पूरे देश में काला दिवस मनाया जा रहा है। सभा में किसान-विरोधी तीनों काले कानूनों और संशोधित बिजली बिल 2020 के रद्द न किये जाने तक आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया गया।

सभा को संबोधित करने वालों में थे लोक राज संगठन के सर्वहिंद उपाध्यक्ष हनुमान प्रसाद शर्मा, बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र वर्मा, लोकराज संगठन के प्रवक्ता मनीराम लकेसर, नरेश सांगर, कृष्ण नोखवाल, आदि।

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