22 जून को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की उपतहसील रामगढ़ की लोक राज संगठन की स्थानीय समिति ने पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिये राजस्थान सरकार के उप-मुख्यमंत्री को जी-मेल के माध्यम से ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में लोक राज संगठन की स्थानीय समिति ने यह मांग की है कि परम्परागत जल स्रोतों, जोहड़ों (छोटे तालाबों), पुराने कुओं और बावड़ियों की सुरक्षा, रखरखाव तथा उनका जीर्णोद्धार करवाने के लिये जिला कलेक्टरों को अविलम्ब निर्देश दिया जाये ताकि इनका संरक्षण सुरक्षित किया जा सके।
इसमें सरकार से मांग की गई है कि बहुत-सी जगहों पर जोहड़-पायतनों (छोटे तालाबों की रिजर्व ज़मीन जिस पर कोई भी पट्टा नहीं किया जा सकता) की जगहों पर सरपंचों की मिलीभगत से हो रहे अवैध कब्ज़ों को तुरंत रोका जाये। जबकि इन कब्ज़ों के लिये न तो पंचायत की बैठक में प्रस्ताव लिये गये हैं और न ही पंचायत और पंचायत समितियों में इनका रिकार्ड है। जोहड़-पायतनों में नकली पट्टों के आधार पर अवैध कब्ज़ों को सख्ती से रोकने के लिये सरपंचों और विकास अधिकारियों को निर्देश दिये जायें। पट्टे का पंचायत की बैठक रजिस्टर में प्रस्ताव और रेकार्ड न होने पर, अगर निर्माण होता है, तो अवैध निर्माण का उत्तरदायी सरपंच, सहायक विकास अधिकारी को माना जाये।
ज्ञापन में चिंता प्रकट की गई है कि ग्राम पंचायतें परम्परागत जल स्रोतों के रखरखाव पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही हैं। अधिकतर जोहड़, कुंए और बावड़ी गांव के बीच में हैं, जिनके चारों ओर कूडे के ढ़ेर की वजह से गंदगी फैली रहती है। इसकी वजह से इन स्रोतों को भारी नुकसान हो रहा है।
समिति ने ध्यान दिलाया है कि इस गंदगी के कारण वर्षा के मौसम में कई बीमारियों के फैलने के ख़तरे के साथ-साथ कोविड-19 के प्रसार का ख़तरा भी बना हुआ है।
विदित रहे कि हनुमानगढ़ लोक राज समिति पिछले दो सालों से पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिये लगातार संघर्ष करती आई है। समिति ने इन परंपरागत जल स्रोतों को बचाने और इन्हें साफ रखने के लिये कई बार, 2018 और 2019 में कलेक्टर, तहसीलदार तथा राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिये हैं। इसके बावजूद इस पर कोई भी प्रगति नहीं हुई। अब प्रशासन की अनदेखी के वजह से जाहड़ों की खाली जमीनों पर अवैध कब्जे़ होने लगे हैं।