6 दिसंबर, 2018, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 26वीं बरसी है। बीते 26 वर्षों से हमारे देश के लोग, चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हों, उस विध्वंस को मानव समाज के ख़िलाफ़ एक अपराध मानते हुए, उसकी निंदा करते आये हैं। लोगों ने यह मांग उठाई है कि हमारी विरासत को इस तरह बेरहमी से नष्ट करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए।
बाबरी मस्जिद के विध्वंस को पहले से सोचे-समझे व सुनियोजित तरीके से किया गया था। केंद्र में शासन कर रही कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की भाजपा, दोनों ने देशभर में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने में एक-दूसरे की पूरी मदद की थी। भाजपा ने देश भर में मस्जिद के विध्वंस के लिए खुलेआम अभियान चलाया था। केंद्र की कांग्रेस सरकार और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि मस्जिद के विध्वंस को रोकने के लिए सुरक्षा बल कोई कदम न उठाएं। हिन्दोस्तानी और विदेषी मीडिया की नज़रों के सामने, भाजपा के प्रमुख नेता मस्जिद को तोड़ने के अपराधी काम करने को उकसा रहे थे।
बाबरी मस्जिद के विध्वंस का मकसद था सभी मुसलमान लोगों को जलील करना। वह हमारे समाज के दिल में भोंका गया एक छुरा था, जिसका इरादा था हमारे लोगों की एकता और भाईचारे को चकनाचूर करना।
यह साफ है कि राज्य की पूरी मशीनरी – केन्द्र और राज्य सरकारें, खुफिया एजंेसियां तथा कांग्रेस व भाजपा जैसी पार्टियां – उस अपराध के लिये ज़िम्मेदार थीं। इसीलिये उस समाज-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी काम के आयोजकों को आज तक सज़ा नहीं दी गयी है।
बीते 26 वर्षों के दौरान, अराजकता और हिंसा बहुत बढ़ गयी है। मुसलमान लोगों को लगातार सांप्रदायिक हमलों का निशाना बनाया गया है। सभी मुसलमानों को “आतंकवादी” और “पाकिस्तानी एजेंट” बताया जाता है। बेकसूर नौजवानों को पोटा और यू.ए.पी.ए. जैसे कानूनों के तहत सालों-सालों जेल में बंद रखा जाता है और प्रताड़ित किया जाता है। अनेक लोग फर्ज़ी मुठभेड़ों में मारे गये हैं। “गौ रक्षा” के नाम पर, लोगों पर हमले किये जा रहे हैं। राज्य सभी लोगों, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, की रक्षा करने के अपने फर्ज़ को निभाने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुआ है।
29 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद की ज़मीन पर विवाद के मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया। सुनवाई के स्थगित किये जाने पर फिर से सांप्रदायिक तनाव भड़काया जा रहा है। उस जगह पर राम मंदिर का फौरन निर्माण करने का नारा दिया जा रहा है। यह सवाल नहीं उठाया जा रहा है कि हिन्दोस्तानी राज्य ने क्यों एक ऐतिहासिक इमारत की रक्षा नहीं की और अपने हजारों-हजारों नागरिकों के ज़मीर के अधिकार और जीने के अधिकार की रक्षा नहीं की।
हमारे लोगों के सामने एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है। राजनीति का सांप्रदायिकीकरण और अपराधीकरण तथा राजकीय आतंकवाद का इस्तेमाल हमारे शासकों का पसंदीदा तरीका बन गया है। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने यह साफ-साफ दिखा दिया है कि वे सत्ता में आने और सत्ता में टिके रहने के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं, यहां तक कि सांप्रदायिक जनसंहार भी आयोजित करने को तैयार हैं। उनकी ये सारी कार्यवाहियां हमारी जनता की एकता और भाईचारे के लिये बहुत ख़तनाक हैं।
बाबरी मस्जिद के मामले को सिर्फ एक भूमि विवाद नहीं माना जा सकता है। इसमें मूल सवाल यह है कि आने वाली पीढ़ियों के लिये हम कैसा हिन्दोस्तान बनायेंगे? हिन्दोस्तान के लोगों ने हमेशा ही यह माना है कि सभी की खुशहाली और सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य का फर्ज़ है। आज त्रासदी यह है कि वर्तमान राज्य इस फर्ज़ को पूरा करने में नाकामयाब रहा है।
वर्तमान राज्य ने हमेशा ही यह सुनिश्चित करने का काम किया है कि बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घराने लोगों को लूटकर जल्दी से अपनी दौलत को बढ़ा सकें। चुनावी प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ उन पार्टियों को दी जाये जिन्हें बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घरानों का समर्थन प्राप्त हो। ये पार्टियां धर्म, जाति, इलाका या भाषा के आधार पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती हैं और लोगों को आपस में भिड़ाती हैं, ताकि लोग एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिये संघर्ष न कर सकें।
सत्ता पर बैठी हुई पार्टी ने बार-बार राज्य की मशीनरी का पूरा इस्तेमाल करके, सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद फैलाया है। जब हमारे चुने गये प्रतिनिधि या राज्य के अधिकारी भयानक से भयानक अपराध करते हैं या नागरिकों की जान बचाने के अपने फर्ज़ को पूरा करने से मुकर जाते हैं, तो हम लोगों के पास उन्हें सज़ा देने का कोई तरीका नहीं है। इस व्यवस्था के अंदर लोगों को पूरी तरह दरकिनार करके रखा गया है।
लोक राज संगठन इंसाफ के संघर्ष, सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद तथा मानव अधिकारों के हर प्रकार के हनन के खिलाफ़ संघर्ष के प्रति वचनबद्ध है। यह संघर्ष लोगों को सत्ता में लाने के संघर्ष के साथ नज़दीकी से जुड़ा हुआ है।
आइये, हम अपनी एकता को मजबूत करें और इस असूल के साथ आगे बढ़ें कि ”एक पर हमला, सब पर हमला” है। हमें सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद के पीड़ितों को “राष्ट्र-विरोधी” और “आतंकवादी” करार देने की शासकों और काॅरपोरेट मीडिया की सभी कोशिशों का डटकर विरोध करना होगा।
इंसाफ तभी होगा जब 26 वर्ष पहले बाबरी मस्जिद के विध्वंस को आयोजित करने वालों और सांप्रदायिक कत्लेआम भड़काने वालों को पकड़कर कड़ी से कड़ी सज़ा दी जायेगी।
लोक राज संगठन सभी लोगों से अपील करता है कि सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद के खिलाफ़ व इंसाफ के लिये संघर्ष में एकजुट हों। आइये, लोगों की एकता को तोड़ने के शासकों के प्रयासों को नाकामयाब करें! आइये, हम लोगों के हाथों में राज्य सत्ता के लिये संघर्ष को आगे बढ़ायें!