बढ़ती आराजकता और नफ़रत भरे अपराधों का स्रोत
समय: सुबह 10 बजे, दिनांक: 30 सितंबर, 2018
गांधी पीस फाउंडेशन, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, आई.टी.ओ., नई दिल्ली
देश की अनेक जगहों में धर्म, जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर लोगों के ऊपर हिंसक हमले किये जा रहे हैं। जो भी सत्ता पर बैठी ताकतों की आलोचना करने वाले राजनीतिक विचारों को प्रकट करता है, उसे “राष्ट्र-विरोधी” करार दिया जाता है।
चाहे एक व्यक्ति पर हमला हो या हजारों पर, हमलावर अपराधियों को राज्य कभी सज़ा नहीं देता है। मानव समाज पर भयानक से भयानक हमले करने वालों को खुली छूट मिलती है जबकि इंसाफ की मांग करने वालों को तड़पाया जाता है।
आपस में स्पर्धा करने वाली राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक बनाने और चुनाव जीतने के इरादे से, नियमित तौर पर इस या उस समुदाय के लोगों के खिलाफ़ नफरत भड़काती हैं। आधुनिक तकनीकों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के ज़रिये वे बेहद पिछड़े विचार, पूर्वाभास और सरासर झूठ फैला रही हैं, ताकि सांप्रदायिक नफरत और आपसी शक का माहौल पैदा किया जाये।
राजनीति में अपराधीकरण बढ़ता जा रहा है। न सिर्फ बढ़ती संख्या में अपराधी नेता संसद और विधानसभाओं में चुने जा रहे हैं, बल्कि बेशुमार धनबल से समर्थित राजनीतिक पार्टियां लोगों को बांटने के इरादे से, ज्यादा से ज्यादा हद तक अपराधी तौर-तरीकों का सहारा ले रही हैं और इस या उस समुदाय पर हिंसक हमलों को जायज़ ठहरा रही हैं।
राजनीति के इस बढ़ते सांप्रदायिकीकरण और अपराधीकरण के साथ-साथ, हमारी जनता के सभी तबकों की रोज़ी-रोटी और अधिकारों पर व्यापक समाज-विरोधी हमला हो रहा है। लोग भारी संख्या में आगे आकर उन सारी नीतियों का विरोध कर रहे हैं जिनकी वजह से जनता और समाज को लूटकर मुट्ठीभर बड़े-बड़े उद्योगपतियों की तिजौरियां भरी जा रही हैं। लोग यह मांग कर रहे हैं कि राज्य को सभी मेहनतकशों की रोज़ी-रोटी और खुशहाली सुनिश्चित करनी चाहिये। सभी ज़मीर वाली महिलायें और पुरुष इस अराजकता और नफरत भरे अपराधों के माहौल का विरोध कर रहे हैं।
राजनीति के इस बढ़ते सांप्रदायिकीकरण और अपराधीकरण तथा लोगों की रोज़ी-रोटी और अधिकारों पर बढ़ते समाज-विरोधी हमले के बीच में क्या संबंध है? क्या इनका स्रोत किसी खास पार्टी में है या क्या इनका स्रोत हिन्दोस्तान में राजनीतिक सत्ता के चरित्र और गठन में है?
बढ़ती अराजकता और नफरत भरे अपराधों के इस माहौल को ख़त्म करने के लिये इसके स्रोत को पहचानना बेहद ज़रूरी है।
लोक राज संगठन इस राजनीतिक मंच में भाग लेने और इस अहम सवाल पर अपने विचारों को रखने के लिये आपको सादर आमंत्रित करता है।
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