प्रेस नोट
6 दिसम्बर 2017, नयी दिल्ली

6 दिसम्बर को, बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 25वीं बरसी के दिन बहुत से नागरिक व अनेक संगठनों के कार्यकर्ता मंडी हाऊस से संसद तक एक विशाल रैली में एक साथ आये।

विरोध प्रदर्शन और रैली को संयुक्त रूप से लोक राज संगठन, जमाअत ए इस्लामी हिन्द, पोपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया, वेलफेयर पार्टी आॅफ इंडिया, जन संघर्ष मंच हरियाणा, सिख फोरम, यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट, सिटिजं़स फाॅर डेमोक्रेसी, इंसाफ, सीपीआई (एम.एल.) न्यू प्रोलेतेरियन, भगत सिंह अम्बेडकर स्टूडेंट आर्गनाइजेशन, ए.पी.सी.आर., हिन्द मज़दूर सभा (गाजियाबाद), मज़दूर एकता कमेटी, कैंपस फ्रंट, आॅल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत (दिल्ली), पुरोगामी महिला संगठन, हिन्द नौजवान एकता सभा, एन.सी.एच.आर.ओ., स्टूडेंट इस्लामिक आॅर्गनाइजेशन, फ्रटर्निटी मुवमेंट आॅफ इंडिया, आॅल इंडिया माइनोरटीज़ क्रिश्चन फ्रंट, आॅल इंडिया इमाम्स काउंसिल, सिटिजंस अगेंस्ट हेट, अम्बेडकर समाज पार्टी तथा पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज़ ने आयोजित किया है।

25 साल पहले इसी दिन, अनेक राजनेताओं के नेतृत्व में, लोगों के झुंड ने स्मारक को ढहा दिया था। बाबरी मस्जिद का विध्वंस यह एक गुस्साई भीड़ का काम नहीं था, जैसा कि सत्ताधारी बताते हैं। यह एक पहले से नियोजित काम था जिसके लिये उत्तर प्रदेश में भाजपा नीत सरकार और केन्द्र में कांग्रेस पार्टी नीत सरकार, दोनों, मिलकर जिम्मेदार थीं। इसकी तैयारी इसके पहले लगभग तीन साल से सुनियोजित तौर पर चल रही थी। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के तुरंत बाद मुंबई, सूरत व अन्य स्थानों में बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा की गयी। इसमें हजारों निर्दोष लोग मारे गये।

लीबरहान आयोग, जिसे बाबरी मस्जिद के विध्वंस की जांच के लिये गठित किया गया था, उसने अपनी रिपोर्ट 17 साल के बाद दी और दोषियों में भाजपा और कांग्रेस पार्टी, दोनों पार्टियों के नेताओं के नाम शामिल किये। श्रीकृष्ण आयोग, जिसे मुंबई की हिंसा की जांच करने के लिये बनाया गया था, उसने बताया कि साम्प्रदायिक कत्ल आयोजित करने में भाजपा, शिव सेना और कांग्रेस पार्टी के हाथ थे। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 25 साल बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिला है। किसी भी सरकार ने उनको सज़ा देने का कोई कदम नहीं उठाया है जो एक एतिहासिक राष्ट्रीय स्मारक के विनाश और हजारों को मौत के घाट उतारने वाली साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के लिये जिम्मेदार थे।

जहां बाबरी मस्जिद खड़ी थी उस जमीन की मालिकी का फैसला सुनाने के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने 5 दिसम्बर को सुनवाई शुरू की है। सबसे ऊंची अदालत न्याय और गुनहगारों को सज़ा के प्रश्न को नहीं उठायेगी। यह न्याय की तौहीन है। न्याय की मांग है कि पहले राष्ट्रीय स्मारक के विनाश और हजारों की मौत के लिये जिम्मेदार लोगों को

सज़ा मिलनी चाहिये और उसके बाद ही जमीन की मालिकी का मुद्दा उठाया जाना चाहिये। गुनहगारों को सज़ा दिये बिना न्याय हो ही नहीं सकता!

बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने इस तथ्य का पर्दाफाश कर दिया कि राजनीति का साम्प्रदायिकीकरण और गुनहगारीकरण तथा राजकीय आतंकवाद एक नये शिखर तक पहुंच चुका था। इसने इस कंपकंपा देने वाला सत्य उजागर किया कि सत्ताधारी पार्टी और प्रमुख विपक्षी पार्टियां वोट बटोरने और उन्हें चंदा देने वाले बड़े कार्पोरेट
घरानों के हितों को पूरा करने के लिये कोई भी जानलेवा अपराध करके बच निकल सकती हैं। तथाकथित चुनी गयी सरकारें लोगों के जिन्दगी और उनके अधिकारों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से निरस्त कर सकती हैं। अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को या सरकारी अफसरों से जवाबदेही पाने या उनको सज़ा दिलाने के लिये लोगों के पास कोई तंत्र नहीं हैं चाहे उन्होंने लोगों के खिलाफ सबसे भयंकर अपराध ही क्यों न किये हों। मौजूदा राजनीतिक प्रक्रिया में लोगों को पूरी तरह किनारे कर दिया गया है। लोग सत्ताहीन हैं।

मौजूदा राजनीतिक प्रक्रिया को ऊपर से नीचे तक बदलने की जरूरत है। इसे लोक-केंद्रित बनाना होगा। वर्तमान में, शासकों की राजनीतिक पार्टियां लोगों को सत्ता से बाहर रखने का काम करती हैं जिससे लोग देश को चलाने के फैसले लेने में एक निर्णायक भूमिका अदा करने से वंचित रहते हैं। इस परिस्थिति का अंत करना होगा।
हमारा दृढ़ विश्वास है कि अपने लोग साम्प्रदायिक नहीं हैं। यह राज्य ही है जो साम्प्रदायिक है। जिन लोगों को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया जाता है, उन्हें अपने सम्प्रदाय की रक्षा में एकजुट होने का पूरा अधिकार है। धर्म के आधार पर एक साथ आने के लिये साम्प्रदायिक हिंसा के पीड़ितों की निंदा नहीं की जानी चाहिये।

बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 25वीं बरसी एक अवसर है जब जमीर वाले सभी महिलाओं व पुरुषों को न्याय की मांग के समर्थन में एकजुट होना चाहिये। हम अनेक शहरों में हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर रहे हैं। हम सत्तारूढ़ संस्थानों द्वारा धर्म के आधार पर अपनी एकता को तोड़ने की कोशिशों को नाकामयाब करेंगे! हम हिन्दू-मुस्लिम विवादों की आग भड़काने की हर कोशिश को नाकामयाब करेंगे!

हम एकजुट होकर लोगों को साम्प्रदायिक हिंसा व सभी तरह के राजकीय आतंकवाद का अंत करने के संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिये एकजुट होंगे! प्रत्येक व्यक्ति के जमीर के जन्म सिद्ध अधिकार का हम समर्थन करेंगे और उसकी रक्षा करेंगे! सिर्फ अपनी एकता ही हिन्दोस्तान को विनाश से बचा सकती है!

गुनहगारों का सज़ा दें!
एक पर हमला, सब पर हमला है!
साम्प्रदायिक हिंसा का एक ही इलाज – लोक राज! लोक राज!

By admin