हाल ही में, राजस्थान सरकार ने 300 सरकारी स्कूलों का पी.पी.पी. माडल के तहत निजी पूंजीपतियों के हवाले करने का ऐलान किया। इस घोर समाज-विरोधी फैसले के खिलाफ़ पूरे प्रांत में छात्रों-छात्राओं, शिक्षकों, अभिभावकों और समाज के आम लोग सड़कों पर उतर आये हैं।
22 सितम्बर, 2017 को भादरा और नोहर तहसील में, ग्रामीण लोगों ने इसके खिलाफ़ प्रदर्शन करके गुस्सा प्रकट किया। विभिन्न संगठनों ने सरकार के स्कूलों के निजीकरण के फैसले को आम जनों पर कुठाराघात बताते हुए भगत सिंह चैक पर जन चेतना सभा का आयोजन किया।
भगत सिंह चैक पर हुई सभा में लोक राज संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमान प्रसाद शर्मा, जिला परिषद सदस्य मंगेज चैधरी, आम आदमी पार्टी के मदन बैनीवाल, भारत स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष रतन अरोड़ा, सतवीर वर्मा, एस.एफ.आई के जिला सचिव अनिल श्योराण, एन.डी.बी. कालेज महासचिव पुष्पा सैनी, बेरोजगार शिक्षक संघ के बलराम शर्मा आदि ने सरकारी स्कूलों के पी.पी.पी. माडल को शिक्षा का बाजारीकरण करार देते हुए कहा कि पानी, बिजली, परिवहन जैसी सेवाओं का निजीकरण करने के बाद मनुष्य को शिक्षित करने की जिम्मेदारी से सरकार छुटकारा पाना चाहती है। उन्होंने कहा कि अब सरकार लोक कल्याणकारी राज्य की परिभाषा को बदलने पर आमादा है। वक्ताओं ने सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय को शीघ्र न बदलने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। सभा को एडवोकेट राजेन्द्र सिहाग, किसान सभा के राकेश मेहरा, एस.एफ.आई. के तहसील अध्यक्ष अनिल गढ़वाल, सुरेश स्वामी आदि ने संबोधित किया।
सभा के बाद, संगठनों के पदाधिकारी व स्कूली बच्चे रैली के रूप में राज्य सरकार के खिलाफ़ नारेबाजी करते हुए, उपखंड कार्यालय पहुंचे। संगठनों के प्रतिनिधियों ने एस.डी.एम. को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर राजकीय स्कूलों को पी.पी.पी. माडल पर चलाने का विरोध जताया। आंदोलनकारियों ने भगत सिंह चैक पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना भी दिया।
इसके पहले, लोक राज संगठन के उपाध्यक्ष तथा राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के पूर्व अध्यक्ष, हनुमान प्रसाद शर्मा ने क्षेत्र के सभी लोगों से 22 सितम्बर के जनप्रदर्शन में हिस्सा लेने की अपील की। अपील में उन्होंने कहा कि नोहर के आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में छात्रों की संख्या 1800 से ऊपर है। अध्यापकों भामाशाह के अथक परिश्रम से इस विद्यालय का रिजल्ट उच्च कोटी का रहा है। इस विद्यालय ने उच्च कोटी के खिलाड़ी तैयार किये हैं। इसे भी पी.पी.पी. माडल में दे दिया गया है। 300 विद्यालयों की सूची में इस विद्यालय का नाम 42वें नम्बर पर अंकित है।
आगे अपील में कहा कि सबसे उच्च कोटी के विद्यालयों को, जो गुणात्मक और परिमाणात्मक, दोनों दृष्टि से श्रेष्ठ है। उनका निजीकरण किया जा रहा है। वे घनी आबादी के बीच स्थापित हैं। प्रत्येक विद्यालय की भवन और खेल मैदान सहित करोड़ों की संपत्ति है, जो भामाशाहों और दानदाताओं से प्राप्त है। ऐसे में, राज्य सरकार को इन श्रेष्ठ विद्यालयों को पी.पी.पी. माडल को देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। राजनीतिक छुआछूत से ऊपर उठकर इस आंदोलन में सभी को शामिल होना चाहिए। छात्र विरोध करें, यह अच्छी बात है, परंतु छात्रों से मेरी यह अपील है कि वे अपने माता-पिता, अगल-बगल के पड़ोसी, गांव के सरपंच, ब्लाक मेंबर, जोन मेंबर, नगर-पालिका के चेयरमेन व पार्षदों को भी इस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। क्योंकि सरकार कोशिश कर रही है कि लोगों को मीडिया के जरिये भ्रमित किया जाये।
22 सितंबर के प्रदर्शन के बाद 25 सितम्बर, 2017 को हनुमान प्रसाद शर्मा ने सभी नागरिकों से अपील की कि सरकार के समाज-विरोधी निर्णय का एकताबद्ध विरोध को तेज़ करें। अपील में कहा गया कि “आज 25 सितंबर को हम कई साथियों ने प्रत्येक सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों से संपर्क किया। सभी ने संयुक्त रुप से इस आंदोलन को चलाने में अपना समर्थन दिया। कल 26 सितंबर को 11 बजे नगरपालिका के पास इकट्ठे होने का निर्णय लिया। उसके बाद एस.डी.एम. महोदय को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। इसलिए सभी नागरिक बंधुओं, छात्रों, नौजवानों, किसानों, मजदूरों और व्यापारियों सभी वर्गों के लोगों से विनम्र निवेदन है कि 11 बजे नगर पालिका के सामने ज्यादा से ज्यादा संख्या में इकट्ठे होकर इस आंदोलन को मजबूत करें। इस क्षेत्र के जागरुक जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन है कि सभी सरपंच, ब्लॉक मेंबर, जोन मेंबर, नगर पालिका के सभी पार्षद, और लोगों को लेकर 11 बजे नगर पालिका के सामने पहुंचे। कुछ लोगों को भ्रम है कि अभी आदेश नहीं हुए, तो मैं मेरे उन सभी साथियों से निवेदन करूंगा कि आदेश होने के बाद बड़ी विकट समस्या खड़ी हो जाती है। यह निश्चित रूप से मंत्रिमंडल स्तर पर निर्णय हो चुका है। सरकार अब सिर्फ जन भावनाओं को देख रही है। यह किसी पार्टी का आंदोलन नहीं है। यह जनहित में आंदोलन होगा। सरकार को सूचित करना जागरुक नागरिकों का कर्तव्य होता है। अगर समय रहते हमने इसका विरोध नहीं किया तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।“
भादरा में भी प्रदेश के 300 विद्यालयों के निजीकरण के खिलाफ़ 22 सितम्बर को प्रदर्शन हुआ।