दिल्ली सरकार ने 30 अगस्त, 2016 को मीडिया के जरिये ऐलान किया कि “दिल्ली के सभी झुग्गी बस्तियों, पुनर्वास कालोनियों, कच्ची कालोनियों में “जल अधिकार कनेक्शन योजना के तहत जल बोर्ड पानी देंगा”।
लोक राज समिति का प्रतिनिधिमंडल 15 मई को दिल्ली जल बोर्ड के आफिस में इस घोषित योजना के बारे में जानकारी लेने व फार्म लेने गये। गिरीनगर के जल बोर्ड अधिकारी ने बताया कि ऐसी योजना का कोई आदेश हमारे पास नहीं है। आप श्रीलाल चैक के जल बोर्ड अधिकारी से मिले।
जब समिति के साथी श्रीलाल चैक पर स्थित जलबोर्ड अधिकारी से मिले तो उन्होंने कहा कि झुग्गी बस्तियों में पानी का कनेक्शन नहीं मिल सकता, क्योंकि वह गैर-कानूनी कालोनी में आती है। वह हम पाइप या टैंकर से पानी देते है जो सरकार द्वारा बिलकुल फ्री है।
लोक राज समिति के सचिव ने उन्हें बताया कि हमारी जलबोर्ड से लोक राज समिति द्वारा 2005 में जनसूचना अधिकार अधिनियम के जरिये पूछा गया कि संजय कालोनी में प्रतिदिन टैंकरों से कितना पानी भेजा जाता है और कितना पैसा खर्च होता है?।
जलबोर्ड द्वारा जवाब आया कि प्रतिदिन टैंकरों से 3,60,000 लीटर पानी भेजा जाता है और प्रतिदिन 5972 रुपये खर्च होता है। जिसमें ड्राईवर, डीजल, गाडी रिपेरिंग का खर्च अलग से है।
संजय कालोनी में टैंकर के अलावा 1 बूस्टर और 8 बोरिंग अलग से है। अगर सिर्फ टैंकर का बजट 2 साल में, 42 लाख, 99 हजार, 840 रुपये बनता है। जलबोर्ड हर पांच साल में पाइप लाइन बदलता है। जिसमें करोड़ों खर्च करता है।
याद रहे यह सूचना 2005 का है, यानी अभी यह बजट दोगुणा बढ़ गया होगा।
जल बोर्ड या दिल्ली सरकार अपने घर से पैसा नहीं लगाती है, यह हम जैसे आम लोगों से ही टैक्स के जरिये वसूला जाता है।
हमारी मांग है कि संजय कालोनी में बोरिंग, बुस्टर, टैंकर के पानी को एक जगह लाकर, घर-घर कनेक्शन (मीटर) लगाकर जलबोर्ड पानी दे। ताकी हम भीख का पानी न ले, हमें पानी संवैधानिक अधिकार बतौर मिलें।
जिससे जलबोर्ड को अनुमानित हर महीने 5 लाख रुपये यानी साल का 60 लाख का लाभ होगा। उदाहरण संजय कालोनी में 5 हजार घर है, इन से कम से कम 100 रुपये महीना लिया जाये तो महीने का 5 लाख मिलेंगा। जिससे जलबोर्ड को घाटा नहीं होगा और न ही उसके कर्मचारी निजीकरण (ठेकेदारी प्रथा) का समाना करेंगे।
जलबोर्ड अधिकारी ने सवाल किया कि – फिर तो इन गरीबों को भी पैसा देना होगा?
समिति सचिव – सर हर घर से कम से कम एक व्यक्ति चाहिए पानी भरने के लिए प्रतिदिन। हम सोचे की एक व्यक्ति 20 रुपये घंटा कम से कम कमाता है किसी नौकरी पर जाने से, तो एक व्यक्ति हर दिन कम से कम पानी के लिए 2 घंटा बर्बाद करता है। यानी की महीने का 1200 रुपये। इसके अलावा साईकिल-टंकी-सेहत पर जो नुकसान होता है वह अलग से।
सर, हमें जलबोर्ड या सरकार का भीख का पानी नहीं चाहिए, हमें जन्मसिद्ध व संवैधानिक अधिकार चाहिए। जिसके लिए हम जरूरत पड़ी तो केन्द्र और दिल्ली सरकार का घेराव करेंगे वह भी बहुत जल्द।
लोक राज समिति की अपील –
आओ हम अपने अधिकारों के लिए, एकजुट हो और संघर्ष तेज़ करें।