नाज़ी जर्मनी की पराजय की 70वीं सालगिरह के अवसर पर
इतिहास के सबकों को नहीं भुलाया जाना चाहिये!
जनसभा – सुबह 9.30 बजे, रविवार, 10 मई, 2015
स्थान – इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट, लोधी इंस्टिट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली

9 मई, 1945 को दूसरे विश्व युद्ध में नाज़ी जर्मनी ने हथियार डाल दिये थे। इसके साथ, यूरोप फासीवाद से मुक्त हुआ और यूरोप में जंग समाप्त हुई।
फासीवाद की पराजय से सारी दुनिया में ज्ञान और प्रगति के आंदोलन को बहुत बढ़ावा मिला।

सारी दुनिया में उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ़ संघर्ष आगे बढ़ा। राष्ट्रों और लोगों की संप्रभुता, विदेशी हुक्मशाही से मुक्त अपनी आर्थिक और राजनीतिक दिशा पर चलने का अधिकार – ये सारी दुनिया में मान्यता प्राप्त असूल बतौर स्वीकार किये गये। न्युरेंबर्ग के असूलों ने मानव जाति के खिलाफ़ किये गये अपराधों के लिये कमान की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया। सभी सदस्य देशों, बड़े या छोटे, की समानता, दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में गैर दखलंदाजी, नस्लवाद, फासीवाद और उपनिवेशवाद के विरोध तथा मानव अधिकारों की हिफाज़त के आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।

आज 70 वर्ष बाद, उस जंग में विभिन्न ताकतों की भूमिका को बड़े सोचे-समझे तरीके से, उल्टे रूप में पेश किया जा रहा है। हिटलर और नाज़ी फासीवादियों को सकारात्मक तरीके से पेश किया जा रहा है। नाज़ी फासीवाद को हराने में सोवियत संघ की भूमिका को मिटा देने की पूरी कोशिश की जा रही है। यूरोप पर कब्ज़ा करने और सोवियत संघ को नष्ट करने के लिये नाज़ी फासीवादियों को प्रोत्साहित करने में बर्तानवी-अमरीकी साम्राज्यवादियों की भूमिका तथा नाज़ी फासीवादियों के साथ अमरीका की बड़ी-बड़ी कंपनियों के निकट संबंधों पर पर्दा डाला जा रहा है।

लोक राज संगठन का यह विचार है कि दूसरे विश्व युद्ध के इतिहास को फिर से लिखने का यह प्रयास सिर्फ एक अन्य व्याख्या देने का मामला नहीं है। दूसरे विश्व युद्ध के बारे में झूठा प्रचार सोच-समझकर किया जा रहा है, बदले की भावना, मध्यकालीनता और फासीवाद को बढ़ावा देने के लिये किया जा रहा है। इसी आधार पर यूक्रेन तथा अन्य देशों की फासीवादी सरकारें अपने-अपने देशों तथा सारी दुनिया में प्रगति और ज्ञान पर अपने हमलों को जायज़ ठहराती है। इसे दूसरे विश्व युद्ध के अंत में मानव समाज की सभी उपलब्धियों को पलटने का औचित्य बनाया जा रहा है। यह साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा आपस में दुनिया को फिर से बांटने के लिये, एक नये विश्व युद्ध की तैयारी के लिये किया जा रहा है।

इस हालतों में, सच्चाई की हिफ़ाज़त के लिये संघर्ष हमारे देश में तथा सारी दुनिया में ज्ञान और प्रगति के आंदोलन का एक अत्यावश्यक भाग है।
लोक राज संगठन सभी प्रगतिशील और जनवादी ताकतों, ज्ञान चाहने वाले सभी लोगों से आह्वान करता है कि साम्राज्यवाद, फासीवाद और साम्राज्यवादी जंग के खिलाफ़, एक मंच पर एकजुट हों।

नाज़ी जर्मनी की पराजय की 70वीं सालगिरह के अवसर पर, लोक राज संगठन आप सभी को निम्नलिखित विषय पर एक जनसभा में भाग लेने के लिये आमंत्रित करता है: “इतिहास के सबकों को नहीं भुलाया जाना चाहिये!”

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