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30 मार्च, 2014 को हरियाणा के जिला सिरसा में स्थित गांव माधोसिंघाना में शहीदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर लोक राज संगठन ने सभा का आयोजन किया। सभा में गांववासियों के अलावा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल से आये संगठन के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

सभा की तैयारी के लिये नौजवानों की एक टीम ने प्रचार-प्रसार और सभास्थल की सजावट की कमान संभाली। उन्होंने गांववासियों को आमंत्रित किया, दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से निमंत्रणपत्र लोगों तक पहुंचाये। सुबह से ही सभा स्थल पर नौजवानों की टीम ने बड़ी उत्सुकता से तैयारी की, इसके लिये उन्होंने हिन्दुस्तान ग़दर पार्टी का इतिहास, भगत सिंह के विचारों तथा लोक राज संगठन के कार्याें पर बनी प्रदर्शनियों को लगाया।

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सभा की शुरुआत में, उपस्थित लोगों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को श्रंद्धाजली दी। ‘इंकलाब जिन्दबाद!’, ‘शहीदे आज़म भगत सिंह अमर रहंे!’, ‘साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!’ ‘पूंजीवाद मुर्दाबाद!’ ‘समाजवाद जिन्दाबाद!’ के नारांे से सभास्थल गूंज उठा। मंच संचालन नौजवान साथी कुलदीप ने किया।

एक नौजवान साथी के गाने, ‘रस्ते पे तुम्हारे चल के हम आज़ाद अब देश करायेंगे, एक बार नहीं कई सैकड़ों बार इस धार पर हम चढ़ जायेंगे…’ से सभा की शुरुआत हुई।

प्राध्यापक ओम प्रकाश शर्मा जी ने लोक राज संगठन का धन्यवाद किया शहीदी दिवस मनाने के लिये। उन्होंने कहा कि पहली बार माधोसिंघाना गांव में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। भगत सिंह और उनके साथियों की जीवन पर उन्होंने विस्तारपूर्वक अपने विचारों को रखा। उन्होंने कहा कि जिस आज़ादी के लिये भगत सिंह और उनके साथियों ने फांसी का फंदा चूमा था, वह आज तक नहीं मिली है। यह झूठी आज़ादी है।

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कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के वक्ता ने सभा को संबोधित करते हुये कहा कि आज शहीद भगत सिंह को मूर्ति पूजा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, उनके विचारों पर चर्चा नहीं की जाती है। भगत सिंह 1857 के ग़दर और 1913 में बनी हिन्दुस्तान ग़दर पार्टी के क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित थे। वे लोग, जो विदेश में, इंगलैण्ड, अमरीका, कनाडा में मजदूरी करने के लिये गये थे, जब उन पर नस्ली हमला या नौकरी में भेदभाव हुआ तब उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि वे गुलाम देश के लोग हैं, उनके साथ गुलामों जैसा ही बर्ताव होगा। इसलिये उन्होंने अपने देश को आज़ाद कराने के लिये हिन्दुस्तान ग़दर पार्टी की स्थापना की, देश को आज़ाद कराने के लिये हिन्दोस्तान आये। 1913 और 1915 में उनके ग़दर को कुचले जाने के बाद भी वे अलग-अलग समूहों में काम करते रहे, जैसे कि हिन्दुस्तान रिब्लिकन सोशलिस्ट एसोसियेशन, कृति पार्टी, आदि। भगत सिंह भी चाहते थे कि उपनिवेशवादियों को भगाकर इस देश का नवनिर्माण करके समाजवादी समाज की स्थापना की जाये।

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हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी भी इस देश का नवनिर्माण करने के लिये मजदूरों, किसानों, नौजवानों और औरतों को लामबंध कर रही है। आज जब मजदूर वर्ग एकजुट होने की कोशिश कर रहा है तो ऐसे में मजदूर वर्ग की पहचान को खत्म करने की साजि़श चल रही है, उसको मध्यम वर्ग या आम आदमी कहा जा रहा है। लोक सभा चुनाव में तीन पार्टियों का ही प्रचार किया जा रहा है, भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी – तीनों ही सरमायदार को यह दिखाना चाहती हैं कि वे सबसे अच्छी तरह उनकी सेवा कर सकती हैं। इन पार्टियों की सेवा से ही पिछले साल पूंजीवादी घरानों का मुनाफा 31 लाख करोड़ रुपये हुआ है। मजदूरों-किसानों की मेहनत का अतिरिक्त मूल्य इन घरानों की तिजोरियों में बंद पड़ा है।

 

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1857 के ग़दर का नारा ‘हम हैं इसके मालिक! हिन्दोस्तान हमारा’ और 1913 के ग़दरियों का नारा लोक राज कायम करना था। इस विचार के इर्द-गिर्द श्रमजीवियों को लामबंध करके ही इस आदमखोर व्यवस्था को पलट कर एक समाजवादी व्यवस्था कायम करनी होगी। यही सही मायने में भगत सिंह और हिन्दोस्तान के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि होगी।

लोक राज संगठन के सर्वहिन्द उपाध्यक्ष गुरू जी हनुमान प्रसाद शर्मा ने सभा को संबोधित करते हुये बताया कि हम अभी इस फखवाड़े में शहीदी दिवस मना रहे हैं, इस दिवस के लिए श्रद्धांजली तो हमारे सांस-सांस में बसी हुर्ह है और इसीलिये हम अपनी मंजिल पर भी पहुंचेंगे। उन्होंने कविता नफ़स-नफ़स कदम-कदम, बस एक फिक्र दम-ब-दम, घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिये! जवाब दर सवाल है कि इंकलाब चाहिये!…’ को सुनाया और बताया कि जब तक यह लुटेरा राज्य कायम रहेगा तब तक इस देश में महिलाओं, पुरुषों और नौजवानों, मजदूरों और किसानों का उद्धार नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि 20 मई, 1458 को वास्को डिगामा, पुर्तगाल से आया था हिन्दोस्तान को लूटने। आगे चलकर अंग्रेजों ने पुर्तगालियों को भगा कर अपना व्यापार शुरू किया, यह कहकर कि इससे हिन्दोस्तान के लोगों का उद्धार होगा। आज का इतिहास शासक ने अपने अनुसार लिखा है और वह चीजें बाहर रखीं जिससे उन्हें खतरा था। आज भी 1857 के बाद के सारे काले कानून लागू होते हैं। उसके बाद इन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाया, जिसके लिये इन्होंने 1885 में कांग्रेस पार्टी का निर्माण किया। यहां तक कि फौज को भी क्षेत्रीयता के आधार पर बांटा जैसे कि जाट बटालियन, गोरखा बटालियन, सिख बटालियन, यह इसलिये ताकि हिन्दोस्तानी फौज एक होकर दोबारा से उनके खिलाफ़ विद्रोह न कर दे। आज भी लोगों को जाति, धर्म और क्षेत्रीयता, पार्टी, टेªड यूनियन, नौजवान संगठन, महिला संगठन, छात्र संगठन सभी को बांटकर रखा गया है। जबकि पूरे मजदूर वर्ग, महिला, नौजवान, मजदूर, किसान सबकी जरूरतंे एक हैं। हमारे हुक्मरानों ने अंग्रेजों से सीखा है कि कैसे लोगों को बांट कर रखा जाये। हुक्मरानों की सारी पार्टियां अपने हाई कमान के प्रति जवाबदेह होती हैं। इसको संरक्षण हमारा संविधान देता है, जिसको अंग्रेजों ने बनाया था।

उन्होंने कहा कि हर प्रकार के अन्याय को खत्म करने के लिए हर मोहल्ले, गांव, शहर, किसानों, मजदूरों के बीच में वर्ग चेतना जगाना होगा। तब ही हम अपने देश में लोक राज कायम कर सकते हैं। इसके लिये लोक राज समितियों का निर्माण करें, मजदूर समितियां बनायें। राजनैतिक छूआछूत से लोगों को दूर करना होगा। देश का नवनिर्माण करना होगा। लोगों का राज कायम करना होगा और राज्य सत्ता अपने हाथों में लेनी होगी।

लोक राज संगठन के हरियाणा सचिव, दुनीचंद ने कहा कि कुछ लोग 1947 की आज़ादी को आज़ादी समझते हैं। जैसे कि उन्हें गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज नहीं दिखाई देते या फिर कनाट प्लेस में घूमना ही उनके लिये आज़ादी है। हमारा क्रांतिकारी इतिहास नयी पीढ़ी को नहीं बताया जाता है। या यह कहा जाता है कि अच्छी पढ़ाई करोगे, अच्छा पैसा कमाओगे तो तुम खुश रहोगे। लेकिन खुश रहने के लिये सामाजिक सुख-सुरक्षा होनी चाहिये। नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य की गारंटी होनी चाहिये। जो आज की व्यवस्था में नहीं मिलती है। हमें इस आर्थिक गुलामी, सामाजिक गुलामी को तोड़ना होगा। उन्होंने बताया कि लोक राज संगठन का जन्म 1992 में हुआ जब देश में बाबरी मस्जिद ध्वस्त की गई थी, तब 144 धारा के बीच संगठन का जन्म हुआ। हमारे देश में 540 सांसदों की नकेल देश के कुछ पूंजीपतियों के हाथों में है। वे देश को चलाते हैं। हमारा देश धनी है। यहां पर खनिज, खाद्य, श्रम भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। जिसको उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के जरिये लूटा जा रहा है और इसलिये दुनिया के पूंजीपतियों की निगाहें हमारे देश पर लगी हुई हैं। जब प्रधान मंत्री से पूछा जाता है कि क्या आपके देश में लोग भूख से मरते हैं? तो बड़ी बेशर्मी से यह कहता है कि हां मरते हैं। इतना धनवान देश होने के बावजूद भी यहां लोग भूख से मरते हैं।

उन्होंने कहा कि, भगत सिंह ने कहा था कि लुटेरे देशी हों या विदेशी, गोरे हों या काले, यह संघर्ष तब तक चलता रहेगा जब कि कुछ मुट्ठी भर लोग जनता का शोषण करते रहेंगे। असली आज़ादी का मतलब है कि सत्ता लोगों के हाथों में होनी चाहिये।

पंजाब से आये कामरेड गुलाब ने बताया कि हिन्दुस्तान ग़दर पार्टी से लेकर भगत सिंह तक, हमारे शहीद कुर्बानी देने में कभी पीछे नहीं हटे। शहीदों की कुर्बानी के बावजूद, सच्ची आज़ादी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने ‘मिट्टी नू सलाम दोस्तों, पैदा जिसने भगत सिंह कीते…’ गीत सुनाया। 

राजस्थान के आई. दान सिंह हुडा ने बताया कि आज भगत सिंह को भुलाया जा रहा है। जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी उनका नाम इतिहास में नहीं आता है। लेकिन जिन्होंने उनके खिलाफ़ षड्यंत्र रचा, उन्हीं गद्दारों का नाम इतिहास में दर्ज हैं। आज की राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था ने लोगों को एक मकड़जाल में जकड़ रखा है। भगत सिंह का पूरा परिवार क्रांतिकारी परिवार था और देश की आजादी के लिये कुर्बानियां दीं। अंत में उन्होंने भगत सिंह पर उनकी बहन द्वारा रचित गीत को गाकर सुनाया जिससे सभा में उपस्थित लोगों की आंखे नम हो गयीं।

किसान नेता हंसराज ने सभा को बताया कि राजगुरु का घर का नाम शिव राम राजगुरु था। उनके शहीद होने के बाद उनके पिता को पता चला कि उनका बेटा ही देश के लिये शहीद हुआ है। हमने भी राजस्थान में पानी की मांग को लेकर जब संघर्ष किया तो इस बर्बर सरकार ने हमारे ऊपर गोलियां चलाई, और हमें जेल में बंद कर दिया। यह आजादी नहीं है!

हिन्द नौजवान एकता सभा के प्रधानमंत्री लोकेश ने कहा कि आंखे बंद करके किसी के पीछे चलना भी गुलामी है। दिल्ली में जब कांग्रेस पार्टी, भाजपा, आदि के बड़े-बड़े नेता रैलियां करते हैं तो मीडिया उनको दिखाती है लेकिन जब किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हैं तो वह मीडिया को दिखाई नहीं देता है। 1947 के बाद भगत सिंह के बारे में नहीं बताया जाता है क्योंकि इससे नौजवानों में क्रांति का जज़बा जगता है। दिल्ली में बाबा रामदेव भी शहीदी दिवस मनाते हैं। टीवी में भी उन पर बहस चलायी जाती है ताकि उनका वोट बैंक बढ़े। आज जब नौजवान राजनीति में आ रहे हैं तो उनके विचारों को तोड़-मरोड़कर नौजवानों में पेश किया जाता है। देश के पूंजीपति तय करते हैं कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा। मजदूरों और किसानों को क्रांति के जरिये उत्पादन के साधन अपने हाथों में लेना होगा, तब जाकर देश का नवनिर्माण हो सकता है।

सभा का समापन करते हुये भूतपूर्व सरपंच रजिन्दर सिंह जान्दू ने कहा कि नौजवान को नौजवान इसलिये कहा जाता है क्योंकि नौ कभी टूटता नहीं है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का पूरा परिवार ही हंसते-हंसते देश के लिये शहीद हो गया था। हमारी व्यवस्था में नौजवानों को पिछलग्गू बनाया गया है। सभी पार्टियों के लोगों को भी पिछलग्गू बनाया जाता है। कोई भी अपने प्रतिनिधि से सवाल-जवाब नहीं कर सकता है। हुक्मरानों को देश को लूटने की पूरी आज़ादी मिली हुई है। इसलिये आज इन नेताओं को जूते थप्पड़ भी मिलते हैं। जनता के पास खाने के लिये पैसा नहीं है और इनके पैसे स्विस बैंकों में पड़े हुए हैं। जब हम अपने नेताओं से सवाल-जवाब करते हैं तो पुलिस, सरकारी अफसर हमें रोकते हैं।

उन्होंने कहा कि अब इस गांव में शहीदी दिवस हर साल मनाया जायेगा।

जोशपूर्ण वातावरण में, हिन्दोस्तान के नवनिर्माण के लिये, मजदूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों को संगठित करने के संकल्प के साथ, सभा का समापन हुआ।

 

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