2 फरवरी, 2014 को हिन्द नौजवान एकता सभा ने दक्षिणी दिल्ली में स्थित एशिया की सबसे बड़ी कच्ची कालोनी संगम विहार में नौजवानों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम का विषय था – ‘आज़ादी के 65 वर्ष बाद – हिन्दोस्तान किस दिशा में?’
इसके अंतर्गत नौजवानों के लिये चित्रकला, निबंध तथा क्वीज प्रतियोगिता रखी गई थी तथा शाम को जनसभा आयोजित की गई।
कार्यक्रम में उस इलाके के किशोर और नौजवान लड़के व लड़कियों ने उत्साह से भाग लिया। स्थानीय निवासियों ने इसे आयोजित करने में बढ़-चढ़कर सहयोग दिया।
जनसभा को पहले वक्ता के तौर पर हिन्द नौजवान एकता सभा के प्रधानमंत्री व विधानसभा चुनाव-2013 में संगम विहार से लोक राज संगठन के उम्मीदवार लोकेश कुमार ने संबोधित किया।
जन सभा के दौरान स्थानीय वरिष्ठ महिलाओं ने विजयी प्रतियोगियों को पुरस्कार वितरित किये।
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के वक्ता का. संतोष कुमार ने सभा को संबोधित करते हुये कहा कि नौजवान तथा बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। लेकिन वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था में हमारे देश के बच्चों को न तो अच्छी शिक्षा मिलती है और न ही इनके अच्छे स्वास्थ्य के लिये कोई इंतजाम हैं। क्योंकि पूंजीवादी अर्थव्यस्था इनके श्रम को शोषण का साधन और अपने मुनाफे का स्रोत मानती है। इसलिये जब तक अर्थव्यवस्था की पूंजीवादी दिशा को नहीं बदला जायेगा हमारे बच्चों का भविष्य सुनहरा नहीं हो सकता है। इसके लिये हम मजदूर वर्ग को लामबंध होकर संगठन को मजबूत करना होगा। ताकि राज सत्ता लोगों के हाथों में आ सके।
लोक राज संगठन के दिल्ली परिषद के सचिव, बिरजू नायक ने कहा कि संगम विहार एशिया की सबसे बड़ी कच्ची कालोनी है लेकिन यहां पीने योग्य पानी, सड़क, सीवर-शौच व्यवस्था नहीं है। दिल्ली में इन कालोनियों को ‘अनाॅथराइज कालोनी’ के नाम पर परिभाषित करके, इनके निवासियों के बुनियादी अधिकारों को कानूनी मान्यता नहीं दी जाती है। ऐसी ही हालत दिल्ली की तमाम झुग्गी-झोपड़ियों, पुनर्वास कालोनियों, कच्ची कालोनियों, की है जहां दिल्ली का मजदूर वर्ग रहता है। यहां पर लोग पार्टीवादी राजनीतिक पार्टियों और सेवा प्रदान करने वाली एजेंसियों की ‘दया’ पर निर्भर हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान सरकार, इन हालतों को खत्म करके, हरेक परिवार को पानी का कनेक्शन, सीवर कनेक्शन, सड़क, स्कूल इत्यादि मुहैया करायेगी, ताकि लोग ‘दया के पात्र’ नहीं ‘अधिकार के पात्र’ हों।
उन्होंने बिजली के निजीकरण का उदाहरण देते हुये कहा कि बिजली ‘पूंजीपतियों के मुनाफे’ का स्रोत बन गई है। हम बिजली के निजीकरण के खिलाफ़ संघर्ष भी कर रहे हैं। सभी को बेहतर सेवा मिलनी चाहिये लेकिन बेहतर सेवा के नाम पर किसी भी एजेंसी – दिल्ली जल बोर्ड, एमसीडी व शिक्षा विभाग या अन्य की किसी भी इकाई का सरकार द्वारा निजीकरण नहीं किया जाना चाहिये। इस निजीकरण का मतलब है कि लोगों को दी जाने वाली सेवायें पूंजीपतियों के मुनाफे का स्रोत बन गई हैं।
उन्होंने कहा कि यहां के बच्चों में बहुत प्रतिभा है। इन बच्चों को ‘समान अधिकार’ की गारंटी मिलनी चाहिए। इन्हें खेलने-कूदने, पढ़ने, अपने सपनों को पूरा करने का समान अवसर मिलना चाहिए। इन्हें अपने अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिये।
इन प्रतियोगिताओं में दिखता है कि बच्चों में समाज के बारे में चिंता भी है और चेतना भी। इन बच्चों के बहुस सारे सपने भी हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिये, बच्चों और नौजवानों को अपने हाथों में सत्ता लेने के लिये आंदोलन में आगे आकर भाग लेना होगा।