16 दिसंबर 2013 के दिन दिल्ली गैंगरेप के बरसी पर आज पुरोगामी महिला संगठन व दिल्ली के अन्य संगठन जनवादी महिला समिति, जागोरी, तारषी YWCA, JWP, NFIW, AIPWA, ने मिलके, काम के जगह पर यौन उत्पीडन के खिलाफ जन सुनवाई की।
इस सुनवाई में महिलाओं ने बढ़ चढकर हिस्सा लिया। जन सुनवाई JWP के साथी पदिमनि ने कार्यक्रम की शुरुआत की। उसमें पुरोगामी महिला संगठन के तरफ से रेणु ने काम के जगह पर यौन उत्पीडन पर बात रखते हुए कहा कि जो रोजाना कामकाजी महिलाओं के साथ यौन उत्पीडन होता है, क्या वह वाकई में अपनी आवाज़ उठा पाती है? अगर वह बहुत गरीब है तो सबसे पहले अपनी रोजी-रोटी को बचाने के लिये उसे इस को चुपचाप सहना पडता है। या वह रोजी-रोटी खोने के डर से और अपनी इज्जत और शर्म के कारण बाहर नही बोलेगी। ऐसे में जो उच्च पदो पर बैठे है उनके खिलाफ तो बोलना भी मुश्किल है क्योंकि समाज तो तुरंत उस बात को मानेगा भी नहीं, उल्टे उस महिला को ही दोषी ठहरायेगा।
ऐसे में आज महिलाये आगे आकर अपने हको के लिये लढ़ रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह अपना मान-सम्मान और रोजी-रोटी सुरक्षित रख पायेगी? क्या अमीर या फिर उच्च पदो पर बैठे लागो को सजा मिलेगी? और अगर महिला लढ़ने को तयार है तो उसको यह भरोसा नही है कि इस व्यवस्था में उसे न्याय मिलेगा। फिर भी आज महिलायें इन सारे चुनौतीयों के साथ लड़ने को आगे आ रही है। उनमें से आज कुछ महिलाओं ने अपने कडवे अनुभव को भी रखा और प्रण लिया कि हम आगे भी लड़ेंगे।
पूंजीवादी समाज की इस दरिंदगी और वहशीपन को अगर दूर करना है तो इस व्यवस्था में महिलाओं को इन सारे शोषणों से अगर मुक्त होना है तो हम समाजवाद को लाकर ही मुकित पा सकते हैं।