लोक राज संगठन का आह्वान, 1 नवम्बर 2013

1984 में, इंदिरा गांधी के मौत के पश्चात, अपने देश की राजधानी में, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं के आदेश पर संगठित गिरोहों ने सिख धर्म के करीब 7000 निर्दोष लोगों को क्रूरतम तरीके से मार डाला। उन्होंने बड़े पैमाने पर महिलाओं व लड़कियों का अपहरण किया और बलात्कार किया। जांच आयोग ने ध्यान दिलाया है कि गिने-चुने आदरणीय अपवादों को छोड़ कर, ऊपर से नीचे तक, पुलिस ने सिखों को निहत्था किया और सक्रियता से कत्लेआम को प्रोत्साहन दिया। उस वक्त के हिन्दोस्तान के प्रधान मंत्री, स्वर्गीय राजीव गांधी ने उसके दो हफ्ते बाद दिल्ली में हुर्इ एक जन सभा में यह कह कर नरसंहार को उचित ठहराया कि, "जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।"

इसके पश्चात के 29 वर्षों में न्यायव्यवस्था, नरसंहार के उच्च स्तर के आयोजकों में से एक को भी सजा नहीं दे पायी है। न्याय नहीं होने दिया गया है, और जाहिर है कि सभी जांच-पड़तालों को इस तरह Þफिक्सÞ कर दिया गया है कि सच्चार्इ बाहर न निकल पाये।

1984 की राजीव गांधी सरकार के गृह मंत्री, श्री नरसिम्हा राव, जो बाद में 1992-1993 के दौरान प्रधान मंत्री के पद पर थे, उनके काल में बाबरी मसिजद को ध्वस्त किया गया। इसके पश्चात सूरत, मुंबर्इ व अन्य स्थानों पर बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक कत्लेआम किये गये थे। उस वक्त उत्तर प्रदेश में और 2002 के नरसंहार के वक्त गुजरात में भाजपा सरकारें थी।

असम में 1983 में नेल्ली के कत्लेआम से ले कर 2012 के कोक्राझार के नरसंहार तक, पिछले 30 सालों में बार-बार नरसंहार हुये हैं। बंगलूरू में तामिल लोगों के खिलाफ गुटवादी हिंसा हुर्इ है, तो आडिशा में र्इसार्इ जनजातियों पर ऐसी हिंसा की गयी है। उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर में हाल में आयोजित की गयी साम्प्रदायिक हिंसा, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गये हैं, फिर इस सच्चार्इ की पुषिट करती है कि आज भी शासक कुलीन साम्प्रदायिक हिंसा का हथियार से लोगों को बांटते हैं तथा चुनावों में लोगों में खौफ का फायदा उठा कर वोट बैंकों की राजनीति खेलते हैं।
दिल्ली चुनावों की तैयारी में, कांग्रेस पार्टी के नेता बाबरी मसिजद को ध्वस्त करने व गुजरात नरसंहार के लिये भाजपा पर आरोप लगाते हैं, जबकि अपनी बारी में, भाजपा के नेता कांग्रेस पार्टी को सिखों का नरसंहार आयोजित करने का आरोप लगाते हैं। दोनों ही भयानक सच बताते हैं! परन्तु सच्चार्इ इसीलिये नहीं बता रहे ताकि गुनहगारों को सजा मिले, बलिक लोगों को चेतावनी देने के लिये कि जो सत्ता में आयेगा और भी कत्लेआम करेगा।

लोक राज संगठन हमेशा सभी रूप के राजकीय आतंकवाद व साम्प्रदायिक दमन का विरोध करती आयी है। हम यह मांग करते आये हैं कि खुदगर्ज पार्टीवादी हितों के लिये साम्प्रदायिक हिंसा आयोजित करने वाले गुनहगारों को और लोगों को सुरक्षा देने के अपने दायित्व को नहीं निभाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये। हमारा विश्वास रहा है कि अगर 1984 के गुनहगारों को सजा तुरंत व कठोरता से सजा दी गयी होती थी तो बाद में होने वाले नरसंहारों के लिये इससे रोकथाम होती थी।

हमारा दृढ़ विश्वास है कि अपने देश में बढ़ते राजनीति के अपराधीकरण की जड़ मौजूदा व्यवस्था में है जो लोगों को सत्ता से बाहर रखती है। इसीलिये लोक राज संगठन एक नयी राजनीतिक व्यवस्था व प्रक्रिया के लिये लगातार लड़ता आया है, जिसमें लोग सत्ता में होंगे और राजनीतिक पार्टियां का काम, लोगों को शासन करने के काबिल बनाना होगा। उन पार्टियों के लिये कोर्इ स्थान नहीं होगा जो लोगों के खिलाफ अपराध करती हैं।
1984 के नरसंहार के पीडि़तों को याद करते हुये आज के इस उदासी के दिन, लोक राज संगठन सभी न्याय-पसंद लोगों, संगठनों व राजनीतिक ताकतों को बुलावा देता है कि साम्प्रदायिक व गुटवादी हिंसा आयोजित करने वालों तथा जिम्मेदार कमान में बैठे लोगों को, जिन्होंने इस में भाग लिया हो या ऐसा होने दिया हो, उनको सजा दिलाने का अपना संघर्ष जारी रखें। चलो हम, एक नयी राजनीतिक प्रक्रिया को बनाने के नज़रिये से, न्याय के लिये अपने संघर्ष को आगे बढ़ायें, जिसमें लोग समाज का अजेंडा तय करने और समाज के सभी मामलों को चलाने में सबल हो सकें।

और जानकारी के लिये संपर्क करें: 9818575435, lokrajsangathan@yahoo.com, www.lokraj.org.in

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