22 मार्च 2013 की शाम, लोक राज संगठन की पहल में लोकराज डेमोक्रेटिक अलायेंस (एल.डी.ए.) की दूसरी जनसभा आयोजित की गयी। सभा की अध्यक्षता नया दौर पार्टी के डा. संजीव छिब्बर, लोक सत्ता पार्टी के श्री अनुराग केजरीवाल व दीपक गुप्ता, तथा लोक राज संगठन के श्री राघवन तथा प्रकाश राव ने की तथा सभा का संचालन श्री धर्मेंदर ने किया। अध्यक्षमंडली के अलावा, सभा का संबोधन करने वालों में लोक राज संगठन के दिल्ली परिषद के श्री बिरजू नायक व संतोष कुमार तथा डी.टी.सी के श्री जीतेन्दर शामिल थे। सभा में इंदिरा कल्याण विहार के सैंकड़ो मज़दूरों, महिलाओं व नौजवानों ने वक्ताओं के भाषणों को ध्यानपूर्वक सुना।
श्री बिरजू नायक ने मौजूदा व्यवस्था के जनविरोधी रुख़ की कड़ी निंदा की। उन्होंने बताया कि मौजूदा व्यवस्था मज़दूरों का अत्याधिक शोषण करती है। लंबे घंटों काम करने के बावजूद भी उनका वेतन इतना कम होता है कि उन्हें गंदी बसितयों में नालों के बगल में रहना पड़ता है, जहां हर तरह की बीमारियां पनपती हैं। अधिकांश लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है और न ही बच्चों के लिये अच्छी शिक्षा। उन्होंने आह्वान दिया कि ऐसी व्यवस्था को बदलने के लिये मेहनतकश लोगों को संगठित होना होगा और एक नयी राजनीति का हिस्सा बनना होगा।
श्री छिब्बर ने बताया कि आजादी के बाद भी देश का विकास लोगों के कल्याण में नहीं हुआ है। अंग्रेज शासकों ने लोगों को जाति व धर्म के आधार पर बांट कर रखा था और आजादी के बाद भी ऐसा ही किया जाता है। उन्होंने सभा में उपसिथत लोगों को बताया कि एल.डी.ए. के लिये आप का धर्म या जाति कोर्इ मायने नहीं रखती है। हम आपको कुछ देने का वायदा नहीं कर रहे बलिक आप के साथ खड़े रहने का वादा कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि आप सब आने वाले चुनावों में सक्रियता से भाग लें और इस देश में परिवर्तन लाने वाले आंदोलन का हिस्सा बनें।
श्री प्रकाश राव ने जारी डी.टी.सी. के संघर्ष के बारे में बात रखी। उन्होंने बताया कि सरकार पिछले 25 बरसों से डी.टी.सी. के निजीकरण की तरफ बढ़ रही है। नियमित काम को बड़ी पूंजीपतियों की कंपनियों के जरिये ठेके पर कराया जा रहा है। डी.टी.सी. के मज़दूर अपनी बुरी परिसिथति के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। श्री प्रकाश राव ने कहा कि परिसिथति को बदला जा सकता है। इतिहास में उन्होंने क्रांतिकारी परिवर्तन होते हुये देखा है। दक्षिणी अफ्रीका के एक देश में गोरे और काले लोगों के मानो दो अगल-अलग देश हुआ करते थे। वहां संघर्ष में लोगों ने सीना तान के गोलियां खायीं और वहां परिवर्तन आया। हिन्दोस्तान में भी दो देश हैं, और हमें भी मौजूदा शासक वर्ग का सत्ता पर कब्जा खत्म करना है।
श्री अनुराग केजरीवाल ने कहा कि जिस कदर मंहगार्इ बढ़ रही है जल्द ही लोगों को हल्दी के पानी को ही दाल समझ कर खाना पड़ेगा। बिजली के विषय में उन्होंने बताया कि वितरण कंपनियां जानबूझ कर मंहगी बिजली खरीद रही हैं और बिजली दरें बढ़ा कर अत्याधिक मुनाफा बना रहे हैं जबकि बिजली की कींमतों का 3.50 या 4.00 रु. प्रति यूनिट से ज्यादा होने का कोर्इ औचित्य ही नहीं हो सकता है। उन्होंने भाजपा द्वारा इस मुद्दे पर शोर मचाने की आलोचना की, क्योंकि बिजली की वर्तमान नीति का वो भी समर्थन करते हैं। आटो रिक्षा चालकों को पुलिस के द्वारा तंग करने का उन्होंने जिक्र किया। निष्कर्ष मेंएक पर्याय के लिये लड़ने के लिये उन्होंने सबको बुलावा दिया।
डी.टी.सी. के एक मज़दूर नेता, श्री जितेन्दर ने अपने संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि डी.टी.सी. के मुखियाओं ने न्यायालय के फैसले को दस्तखत करके मंजूर किया वे बर्खास्त किये मज़दूरों को वापिस लेंगे परन्तु अभ्यास में वो ऐसा कर नहीं रहे हैं। उनके समर्थन में श्री केजरीवाल ने कहा कि वे डी.टी.सी. के मज़दूरों के मामले को वे उच्च न्यायालय में ले जाने में मदद करेंगे। श्री बिरजू नायक ने उनके समर्थन में कहा कि डी.टी.सी. के मज़दूरों की समस्याओं के बारे में वे एक पर्चा निकालेंगे और प्रमुख बस डिपो में बांटेंगे। उसके बाद मिल कर मज़दूरों के अधिकारों की मांग लेकर एक बड़ा प्रदर्शन परिवहन मंत्री के विरोध में आयोजित करेंगे। श्री छिब्बर ने डी.टी.सी. के समर्थन में हजारों लोगों को लामबंध करने का विचार रखा।
श्री संताष कुमार ने एक उत्साहपूर्ण भाषण दिया जिसमें सभा में उपसिथत लोगों ने तालियों से स्वागत किया। अंत में श्री राघवन ने इस सभा को आयोजित करने का मकसद बताया। उन्होंने बोला कि अब तक 16 बार हमने कांग्रेस पार्टी व भाजपा को सत्ता में मौका दिया है और अब एक और मौका नहीं दे सकते हैं। हमें इसका पर्याय निकालना ही होगा। इसके बाद सभा जोशीले नारों के साथ खत्म हुयी।