15 अगस्त, 2012 के अवसर पर मदनपुर खादर में नौजवानों के बीच विचार-गोष्ठी आयोजित की गई। 65 साल आज़ादी के ”ये कैसी आजादी?” इस विषय पर लड़के-लड़कियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता लोक राज संगठन के दिल्ली परिषद के सचिव बिरजू नायक ने की 60-70 युवक-युवतियों ने अपने-अपने विचारों को प्रस्तुत किया। अपने विचारो में उन्होंने जीवन में हो रही कठिनाइयों पर और जो उनकी मूलभूत आवश्यकताएं उनके ऊपर बात रखी।
जो लोगों की स्थिति 200 साल पहले थी, उसमें ज्यादा बदलाव नहीं आया है। लोगों का संघर्ष पहले भी रहा है और अब भी कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, देने के नाम पर हमारा शासक वर्ग हमारे साथ खेल, खेल रहा है। नौजवानों के सामने आज यह मुद्दा है कि शिक्षा लेने के लिए प्रथमिक स्तर से माध्यमिक स्तर के शिक्षा के लिये आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है। जल्दी स्कूल में दाखिला नहीं हो पाता, अगर दाखिला हो भी जाता है और शिक्षा ले भी लेते हैं, तो रोजगार नहीं मिल पाता हमारी सरकार नित नई योजनाओं के नाम पर आम जनता से खेल खेलते हैं।
किसानों को आत्महत्या करने के लिये मजबूत होना पड़ता है, उनकी ज़मीनें हड़पी जा रही हैं, उन्हें मुआवजे के नाम पर बहलाया जाता है। मंहगाई आसमान छू रही है, सरकार केवल यह कहकर चुप है कि हम कोशिश कर रहे हैं। महिलाओं का संघर्ष 1857 से लेकर अभी तक चल रहा है वे सड़क पर चलते समय सुरक्षित नहीं हैं, कोई भी उनके साथ कुछ भी कर सकता है। महिलाएं सुरक्षा के अधिकार से वंचित हैं।
वाद-विवाद में नौजवानों ने कहा संविधान में लिखे मौलिक अधिकार केवल लिखित में हैं, व्यवहारिकता कुछ भी नहीं है। अपने अधिकारों के लिए जो आवाज़ उठाता है उसका मुंह बंद कर दिया जाता है।
नौजवानों ने यह भी कहा हमारे वीर-जवानों, महिलाओं ने जो जंगे-आजादी लड़ी, कुर्बानी दी, उसको इन शासक वर्ग ने शर्मसार कर दिया है। वे केवल अपनी जेबें भरने में लगे हैं। आम जनता का हाल जैसा चल रहा है चलने दो, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, इन सभी मुद्दों को लेकर नौजवानों ने 15 अगस्त पर अपनी बात रखी।
अंत में एक नाटक दिखाकर इस गोष्ठी का समापन किया गया।