img_7658.jpgसंगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!

22 अप्रैल, 2012 की शाम को नौजवानों के जोशपूर्ण प्रगतिशील गीत के साथ लोक राज संगठन का छठा अधिवेशन संपन्न हुआ। यह अधिवेशन दिल्ली में आयोजित किया गया था।

इस अधिवेशन में समाज के विभिन्न तबकों तथा हिन्दोस्तान के कोने-कोने, उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण के कन्याकुमारी तक और पश्चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मणिपुर तक, से प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। इस अधिवेशन में नौजवान, छात्र, महिला, मजदूर, किसान, वकील, अध्यापक, प्राध्यापक, फिल्मकार, राजनीतिक कार्यकर्ता, डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, ट्रेड यूनियन के नेता, आदि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से सदस्यों और समर्थकों ने सक्रिय भागीदारी की।

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अधिवेशन का प्रारंभ जोशपूर्ण प्रगतिशील गीतों ”ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के…” और ”आओ उठें मेरे देशवासियों…” से शुरू हुआ। इन गीतों को जब गिटार की धुनों के साथ पेश किया गया तो सभा में मौजूद सभी प्रतिनिधि झूम उठे।

लोक राज संगठन के उपाध्यक्ष डा. संजीवनी जैन, सचिव प्रकाश राव तथा अध्यक्ष श्री एस. राघवन के तीन सदस्यों वाले अध्यक्षमंडल ने अधिवेशन का संचालन किया।

सबसे पहले अधिवेशन ने संगठन के उन सदस्यों को श्रध्दांजलि दी, जो पिछले दो सालों के दौरान हमारे बीच नहीं रहे। ये सभी सदस्य संगठन के संस्थापक सदस्यों में से थे, जिन्होंने कमेटी फॉर पीपल्स एंपावरमेंट के गठन और उसके बाद लोक राज संगठन की स्थापना से अपनी आखरी सांस तक संगठन को बनाने और आगे बढ़ाने में अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई। लोक राज संगठन के अध्यक्ष श्री एस. राघवन ने कहा कि इन सभी सदस्यों की कमी हम सभी को सदा महसूस होगी। 

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अध्यक्ष ने अधिवेशन की शुरुआत करते हुये देश भर से आये हुये सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया उन्होंने बताया कि अगले वर्ष लोक राज संगठन 20 वर्ष का हो जायेगा और 1993 में फिरोजशाह कोटला की ऐतिहासिक रैली व लोक राज संगठन की स्थापना की परिस्थितियों के बारे में याद दिलाया। वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में ”लोकतंत्र” के फरेब का पर्दाफाश करते हुये, उन्होंने लोक राज संगठन के विकास व विस्तार पर बात रखी। फिर उन्होंने सचिव को अपनी राजनीतिक रिपोर्ट पेश करने के लिए आमंत्रित किया।

सचिव ने लोक राज संगठन की राजनीतिक रिपोर्ट पेश की। बढ़ती महंगाई और बड़ी इजारेदार कंपनियों के हमलों के चलते, मेहनतकश लोगों की दुर्दशा का वर्णन देते हुये, उन्होंने देश के कोने-कोने में विभिन्न क्षेत्रों के उद्योगों और सेवाओं में काम कर रहे मेहनतकशों – ऑटो मजदूरों से लेकर विमान चालकों, डाक्टरों, शिक्षकों, रेल मजदूरों, इत्यादि तथा किसानों के तेज़ हो रहे संघर्षों, सुनिश्चित व लाभदायक दाम पर राज्य द्वारा फसल खरीदी और बड़ी कंपनियों द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ किसानों और आदिवासियों के बढ़ते संघर्षों का जिक्र किया। लोग अब यह मानने को तैयार नहीं हैं कि सिर्फ मुट्ठीभर बड़े इजारेदार घरानों के मुनाफों की वृध्दि सुनिश्चित करने के लिये समाज के अधिकतम लोगों व देश के संसाधनों को बेइंतहा लूटा जाये और सरकार इन लुटेरों के हितों में ही काम करे तथा अधिकतम लोगों के रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा व मूल ज़रूरतों की पूर्ति के अधिकार का बार-बार हनन करे। उदारीकरण और निजीकरण के ज़रिये भूमंडलीकरण की नीतियों के बल पर जहां हिन्दोस्तान की बड़ी इजारेदार कंपनियां कई गुना अमीर होकर विश्व खिलाड़ी बन गई हैं, वहीं देश की जनता बढ़ती संख्या में गरीबी, भुखमरी, कुपोषण व कंगाली की चपेट में फंसती जा रही है। इस ”दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र” में किस तरह जनता को फैसले लेने के अधिकार से वंचित किया जाता है और राज्य सत्ता से दूर रखा जाता है, इसे सजीव उदाहरणों से समझाते हुये, सचिव प्रकाश राव ने ठोस तर्कों के ज़रिये इस निष्कर्ष पर ज़ोर दिया कि सिर्फ लोक राज की स्थापना ही देश की जनता को खुशहाली और सुरक्षा दिला सकती है। उन्होंने इस लोक राज की स्पष्ट रूपरेखा भी पेश की, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि लोग खुद अपने व समाज के भविष्य को अपने हित में निर्धारित कर सकेंगे।

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सचिव की रिपोर्ट पर अपने विचार और सुझाव देने के लिए अध्यक्षमंडल ने अधिवेशन में आये प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। इस रिपोर्ट पर पूरे दिन चर्चा चली। देश के अलग-अलग भागों – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, तामिलनाडु, महाराष्ट्र, मणिपुर, बिहार, आंध्र प्रदेश तथा अन्य अनेक प्रांतों से आये प्रतिनिधियों ने अपने-अपने काम के अनुभवों को पेश करते हुये रिपोर्ट की सार्थकता पर बल दिया। अधिवेशन में उपस्थित हर सदस्य अपनी बात रखने के लिये उत्सुक दिखाई दे रहा था। प्रतिनिधि सदस्यों ने बहुत ही राजनीतिक परिपक्वता और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने विचार पेश किये और इस निष्कर्ष का समर्थन किया कि आने वाले समय में देश की बागडोर लोगों के हाथों में लाने से ही सभी की खुशहाली सुनिश्चित की जा सकती है। पूरे दिन की चर्चा के बाद रिपोर्ट को अधिवेशन ने सर्व सम्मति से पास किया।

इसके बाद अधिवेशन में दो प्रस्ताव पेश किये गये। पहले प्रस्ताव में अमरीकी साम्राज्यवाद की प्रधानता में सभी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा तरह-तरह के झूठे बहाने देकर दूसरे देशों की संप्रभुता के घोर हनन तथा हमलावर जंग व हस्तक्षेप की कड़ी निन्दा की गयी और एकजुट होकर राष्ट्रों की संप्रभुता के पक्ष में व जंग के खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। दूसरे प्रस्ताव में महंगाई, व्यापार पर बड़ी देशी-विदेशी कंपनियों की इजारेदारी, बड़े औद्योगिक घरानों के हित में सरकार द्वारा बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण, सार्वजनिक उद्यमों व सेवाओं के निजीकरण, राजकीय आतंकवाद और राज्य द्वारा आयोजित हिंसा के खिलाफ़, और किसानों के उत्पादों की राज्य द्वारा सुनिश्चित व लाभदायक दाम पर खरीदी तथा सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के समर्थन में लोगों की जुझारू एकता बनाते हुये, लोक राज संगठन को विस्तृत व मजबूत करने का आह्वान दिया गया। पूरी सभा ने इन दोनों प्रस्तावों का सर्व सम्मति से अनुमोदन किया।

लोक राज संगठन के नये सर्व हिंद परिषद का चुनाव हुआ।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री एस. राघवन ने समापन भाषण दिया। उन्होंने लोक राज संगठन, उसके सर्व हिन्द परिषद, इलाका परिषदों व लोक राज समितियों को मजबूत करने तथा नये-नये इलाकों में संगठन का निर्माण करने पर जोर दिया। अगले वर्ष लोक राज संगठन की स्थापना के 20 वर्ष मनाये जायेंगे। 2014 के आम चुनावों में हमें सक्रियता से भाग लेकर वर्तमान व्यवस्था का पर्दाफाश करना होगा तथा लोक राज के कार्यक्रम के इर्द-गिर्द अधिक से अधिक संख्या में लोगों को लामबंध करना होगा। उन्होंने दूर-दूर से आये सभी प्रतिनिधियों को उनके सक्रिय योगदान के लिये धन्यवाद दिया और सभी से काम का विस्तार करने का अह्वान किया।

प्रगतिशील गीतों के साथ अधिवेशन संपन्न हुआ।

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