1 जुलाई, 2011 को लोक राज समिति (संजय कालोनी) द्वारा शौच सुविधा को सुचारु रूप से चलाने की मांग को लेकर तीन दिवसीय धरना का आयोजन, 2 जुलाई, 2011 से किया गया, उसका प्रचार-प्रसार संजय कालोनी के सभी निवासियों के बीच में किया गया।
लोक राज संगठन के इस मुहिम में प्रचारक टीम में एक महिला सदस्या भी थी, जो निडरता के साथ सभी पुरुषों तथा महिलाओं से इस संघर्ष में एकजुट होने के लिये आग्रह कर रही थी।
लोक राज संगठन की महिला सदस्य शौच व्यवस्था पर प्रकाषित लोक राज समिति के बयान को लेकर एक महिला के घर में देने गईं, तो वहां पर उस वार्ड के निगम पार्षद बैठे हुये थे।
लोक राज संगठन की महिला सदस्य ने उन्हें बयान दिया, तो निगम पार्षद जी ने कहा कि आप तो मेरे खिलाफ़ काम कर रही हैं।
लोक राज के सदस्य – हम आपके खिलाफ़ काम नहीं कर रहे हैं, हम लोगों के पक्ष में काम कर रहे हैं। आपको सत्ता में आये चार साल हो गयेे लेकिन हमारी कालोनी की महिलाओं के लिये शौचालय चालू नहीं हुआ। जिसकी सूचना आपको कई बार दिया गया है। मगर आपके द्वारा किसी भी प्रकार का कदम नहीं लिया गया। तब हम मजबूर होकर यह तीन दिवसीय धरना करने जा रहे हैं।
निगम पार्षद – आप लोग पढ़े-लिखें हो, आपको तो पता होना चाहिये कि मेरे पास कोई पावर नहीं है।
लोक राज सदस्य – नेता जी, अगर आपके पास पावर नहीं है, तो कल से आप हमारे साथ धरने पर बैठीये, कालोनी के सभी निवासी मिलकर आपको पावर देंगे और जिसके पास पावर है उसके खिलाफ़ लड़ेंगे।
निगम पार्षद – ठीक है, मैं कल आउंगा, मगर तो भी बता दूं, मेरे पास पावर नहीं है।
परन्तु तीन दिन चलने वाले धरने में हमारे वार्ड के निगम पार्षद नहीं दिखाई दिये, धरना स्थान से कुछ दूरी पर मेरी पान की दूकान है।
मुझे यह स्पष्ट हो गया कि यह जनप्रतिनिधि लोगों के प्रति-जवाब देह नहीं है, न ही लोगों के नियंत्रण में है, यह सिर्फ अपने पार्टियों के प्रति जवाब देह हैं, क्योंकि उन्हें आगे भी पार्टी का टिकट लेना है।
मैंने इन महिला से सीखा की अगर मेहनतकशों को सही राजनीतिक दिशा में ले जाया जाये तो वह दिन दूर नहीं जब हिन्दोस्तान में मेहनतकशों के हाथों में राज सत्ता होगी।
धन्यवाद
आपका साथी
जहीर खान, नई दिल्ली