23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने फांसी के फंदे को हंसते-हंसते गले लगाया था। उन्होंने अंतिम बार इंकलाब के नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद!’ के साथ अपने प्राण दिये। हमारे तीन वीर सपूतों को फांसी इसलिए दी गई क्योंकि उन्होंने साम्राज्यवाद के खिलाफ़, औपनिवेशिक गुलामी और सभी प्रकार के शोषण और अन्याय को समाप्त करने के लिए इंकलाब का झंडा फहराया था।
इस घटना को 79 वर्ष और देश को आज़ाद हुए 60 वर्ष हो चुके हैं। जिन लक्ष्यों और आकांक्षाओं के लिए हमारे शहीदों ने कुर्बानी दी, वे आज भी अपूर्ण हैं। आज़ादी के इतने लंबे अरसे के बाद भी, हमारे देश की बहुसंख्यक मेहनतकश आबादी आज भी, अपने जीवन और रोजी-रोटी पर, गहरा असर डालने वाले फैसले करने के अधिकार से वंचित है। हिन्दोस्तान की राज्य सत्ता, लोगों को खुद फैसला लेने, कानून बनाने, नीतियों को तय करने, गुनहगारों को सज़ा देने, देशव्यापी आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर फैसले लेने से दर-किनार करती हैं।
हिन्दोस्तान में पूंजीवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था मौजूद है। जिसका मकसद है, सरमायदारों की सेवा करना। इस व्यवस्था में जो पूंजीपतियों के लिए उचित है, वही देश के मजदूरों और किसानों के लिए उचित माना जाता है। हमारे देश के चंद पूंजीपतियों के आर्थिक संवर्धन को देश का संवर्धन तो उनके संकट को देश का संकट मान लिया जाता है। पूंजीपतियों को संकट से निकालने के लिए, उस संकट का बोझ मजदूरों-किसानों पर लाद दिया जाता है। इस पूरे सरमायदारी लोकतंत्र के परिदृश्य में मजदूरों और किसानों के समक्ष खड़ा संकट – रोजी-रोटी का संकट, बढ़ती महंगाई, भूख, विस्थापन, बेकारी आदि का कोई मायना नहीं है।
हमारे देश की सरमायदारी पार्टियों का काम है, इस पूंजीवादी लोकतंत्र की व्यवस्था को मजबूत करना और पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करना। मुख्य सरमायदारी पार्टियां – कांग्रेस तथा भाजपा, दोनों में से एक के जनता के बीच बदनाम होने पर, दूसरी सत्ता में आती है। जहां तक लोगों के राजनीतिक फैसले लेने के अधिकार का सवाल है, तो उसे पांच साल में एक दिन अर्थात चुनाव में, सरमायदारी पार्टियों के बीच में से किसी एक को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करके, ‘लोकतंत्र का उत्सव’ मना लिया जाता है।
आज हिन्दोस्तान की आबादी में बहुसंख्यक नौजवान हैं। जिसमें बड़ा हिस्सा हमारे नौजवान मजदूर-किसान हैं। हिन्दोस्तानी पूंजीपति वर्ग नहीं चाहते हैं, कि नौजवान एक राजनीतिक ताकत बन जायें। वे चाहते हैं कि नौजवान उत्पादक शक्ति के रूप में सीमित रहें ताकि जबरदस्त मुनाफे का साधन बने रहें। वे चाहते हैं कि खुदगर्ज हित के सिध्दांत को अपनाएं, खुद के सपने को साकार करने के लिए हाथ-पैर मारें और उनके मुनाफे का शिकार बने रहें।
सरमायदारी पार्टियां, खुद को सत्ता में लाने के लिए देश के नौजवानों को अलग-अलग जन संगठनों में लामबंद करती हैं। जिसका उद्देश्य है पार्टियों के नेताओं के द्वारा लिये गए फैसलों को लागू करने तथा उस पार्टी के वोट बैंक को बढ़ाने और दूसरी पार्टियों को हराने के गंदे काम को पूरा करना। ऐसे संगठनों की आधार सोच है कि लूट-अन्याय पर आधारित पूंजीवादी व्यवस्था अनवरत चलती रहे।
हिन्दोस्तान की राजनीति और आर्थिक व्यवस्था से मजदूर-किसान, औरत, नौजवान, आदिवासी तथा दबे-कुचले लोग सभी पीड़ित हैं। वे इस व्यवस्था को नफरत करते हैं, जहां उन्हें बुनियादी अधिकारों – रोजी-रोटी, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि से वंचित किया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में, समाज के अलग-अलग तबकों से इस अन्यायी व्यवस्था के खिलाफ़ आवाज़ उठ रही है।
हिन्दोस्तान का भविष्य नौजवानों के हाथ में है! वर्तमान शोषण और लूट की इस व्यवस्था की जगह पर, नौजवानों को एक ऐसे हिन्दोस्तान की रचना के लिए वचनबध्द होना होगा, जहां अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल सभी को सुख और सुरक्षा दिलाने की दिशा में किया जाता हो। समाज में फैसले लेने की ताकत मेहनतकश आदमियों, औरतों और नौजवानों के हाथ में हो, जहां राजनीतिक पार्टियां लोगों को खुद अपना शासन करने के काबिल बनाने की भूमिका अदा करें। नौजवानों को सबसे अगुवा राजनीतिक सिध्दांत और विज्ञान से लैस होकर, अपने देश के बहुसंख्यक जनता के आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ना होगा। तभी पूरे समाज को उज्जवल भविष्य की ओर ले जाया सकता है! हिन्दोस्तानी समाज को संकट से मुक्ति मिल सकती है!
इंक़लाब जिंदाबाद!
क्रांतिकारी शहीदों को लाल सलाम!
शहीद भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव को लाल सलाम!
पूंजीवाद मुर्दाबाद!
साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!
बढ़ती महंगाई मुर्दाबाद!
फौजी खर्च में कटौती करें! काला धन जब्त करें!
नि:शुल्क और व्यापक शिक्षा हमारा बुनियादी अधिकार है!
राजकीय आतंकवाद और सभी प्रकार के राजनीतिक दमन मुर्दाबाद!
खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजी-रोटी और जिंदगी की सुरक्षा हमारा जन्मसिध्द
अधिकार है!
23 मार्च, शहीदी दिवस
संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!
संपर्क : हिन्द नौजवान एकता सभा
ई-392, (प्रथम तल), संजय कालोनी, ओखला फेस-2, नई दिल्ली – 110020
फोन: 09868711951